Monday 31 October 2011

आज बकरा ईद है /eid-e- Adha/eid-ul-adha/eid-ul-zuha

आज बकरा ईद है /eid-e- Adha/eid-ul-adha/eid-ul-zuha

आज ईद उल ज़हा (बकरा ईद) है यानि मुस्लिम्स मे कुर्बानी करने का दिन
मेरे  बहुत  से  मित्र अक्सर ये सवाल करते हैं के ये  कुर्बानी क्यूँ करते हैं ये सही है या नहीं है वगैरा-वगैरा
इसके सम्बन्ध मे बहुत कुछ लिखा और पढ़ा जा चूका है अब कुछ कहने को शेष नहीं बैसे बात को रबड़ की तरह कितना ही खेच लो उस से क्या
हाँ एक बात अक्सर कही जाती है के मुस्लिम्स मांसाहारी होते हैं और हिन्दू शाकाहारी तो ऐसा क्यूँ , मुस्लिम्स उलटे तवे पर रोटियां क्यूँ पकाते हैं , मुस्लिम्स की रोटियां बड़ी क्यूँ होती है , मुस्लिम्स उलटे हाथ क्यूँ धोते हैं ,मुस्लिम्स डूबते सूरज को अच्छा क्यूँ समझते हैं ,मुस्लिम्स ज़मीन मे मुर्दा क्यूँ दफनाते हैं जलाते क्यूँ नहीं ,मुस्लिम्स दोपहर मे मुर्दा क्यूँ नहीं दफनाते हैं   ,मुस्लिम्स की तारीख सूरज डूबने पर क्यूँ बदलती है वगैरा -वगैरा
आज सोचता हूँ के इस पर कुछ लिखने की कोशिश की जाए

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