Monday 31 October 2011

जो बन संवर के वो एक माहरू निकलता है /आदिल रशीद /aadil rasheed

जो बन संवर के वो एक माहरू निकलता है /आदिल रशीद /aadil rasheed

जो बन संवर के वो एक माहरू निकलता है  
तो हर ज़बान से  बस अल्लाह हू निकलता है
 

ये चाँद रात ही दीदार का वसीला है
बरोजे ईद ही वो खूबरू निकलता है


हलाल रिज्क का मतलब किसान से पूछो
पसीना बन के बदन से लहू निकलता है


ज़मीन और मुक़द्दर की एक है फितरत
के जो भी बोया वही  हूबहू  निकलता है



तेरे बग़ैर गुलिस्ताँ को क्या हुआ आदिल
जो गुल निकलता है बे रंगों बू  निकलता है 

आदिल रशीद 

माहरू= सुन्दर चाँद जैसे चेहरे वाला
अल्लाह हू = हे भगवान् 

रिज्क= रोजी,रोटी   

आदिल रशीद 

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