Monday 31 October 2011

बाज़ कहाँ आता है दिल मनमानी से/ aadil rasheed


आदिल रशीद 
सारी दुनिया देख रही
हैरानी से
हम भी हुए हैं इक गुड़िया जापानी से
 

बाँट दिए बच्चों में वो सारे नुस्खे
माँ  ने जो भी कुछ सीखे थे नानी से 


ढूंढ़ के ला दो वो मेरे बचपन के दिन
जिन  मे 
कुछ सपने हैं धानी-धानी से

प्रीतम से तुम पहले पानी मत पीना
ये मैं ने सीखा है राजस्थानी से
 

मै ने कहा था प्यार के चक्कर में मत पड़
बाज़ कहाँ आता है दिल मनमानी  से
 

बिन तेरे मैं कितना उजड़ा -उजड़ा हूँ
दरिया की पहचान फ़क़त है पानी से
 

मुझ से बिछड़ के मर तो नहीं जाओगे तुम
कह तो दिया ये तुमने बड़ी आसानी से
 

पिछली रात को सपने मे कौन आया था
महक रहे हो आदिल रात की रानी से

आदिल रशीद 
Aadil Rasheed
New Delhi





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