Monday 31 October 2011

786/७८६ अंक को शुभ क्यूँ माना जाता है....aadil rasheed

७८६ अंक को शुभ क्यूँ माना जाता है....aadil rasheed




 ७८६ अंक को शुभ क्यूँ माना जाता है

याद कीजिये फिल्म दीवार का वो मंज़र अमिताभ के सीने पर गोली लगती और उन्हें कुछ नहीं होता गोली उनके बिल्ला नम्बर "786"  से टकरा कर बेकार हो चुकी है अमिताभ उस बिल्ले को कोट की जेब से निकाल कर चूमते हैं  फिर फिल्म कूली मे वही चमत्कारी  बिल्ला नंबर "786"  लगाते है   कूली मे एक जबरदस्त हादसे में  घायल होते है जिंदगी और मौत की जंग मे जीत ज़िन्दगी की होती है और वो रुपहले परदे पर भी और अपने वास्तविक जीवन मे भी अंक "786''  के ज़बरदस्त कायल हो जाते हैं और आज भी वह और उनका परिवार अंक "786" को अपने लिए शुभ मानता है

क्या है ये अंक 786 और क्यूँ मानते हैं इसको शुभ 

 एक अरबी भाषा का शब्द है "अबजद" जिसका एक मतलब होता हैं किसी बिद्या को सीखने की सब से पहली स्तिथि यानि अलिफ़,बे,ते (A.B.C.D.) क ख ग घ  सीखना


 जो दूसरा मतलब है वो अपने आप मे एक विद्या हैं किसी भी शब्द के नंबर निकालना ये अरबी की विद्या है इसलिए अरबी के तरीके से ही चलती है इसमें अरबी के हर अक्षर को एक गिनती दी हुई है किसी शब्द मे जो जो अक्षर प्रयोग होते हैं उन को गिन कर जोड़ कर जो योग निकलता है वही उस शब्द के अंक होते है आदिल रशीद को उर्दू मे लिखेंगे عادل رشید इसमें प्रयोग हुआ ऐन. अलिफ़ ,दाल, लाम, तो इस में 
ऐन के=70, अलिफ़ के =1 दाल के=4 लाम के=30 टोटल = 105 
इसी तरह रशीद रे के =200 शीन के =300 ये के =10 दाल के =4 टोटल=314 
आदिल रशीद के हुए 105 +314=419
इसी हिसाबे अबजद से बिस्मिल्लाह हिर रहमानिर रहीम जिसके अर्थ होते हैं "शुरू करता हूँ उस अल्लाह के नाम से  जो बेहद रहम वाला है"
अगर पुरे  वाक्य "बिस्मिल्लाह हिर रहमानिर रहीम" के अंक(नंबर) अबजद से निकालें तो बनेगे 786 इसी लिए मुस्लिम्स में  इसको लकी माना जाता है बहुत से लोग इसको नहीं भी मानते. 
 इस में हिन्दू मुस्लिम्स एकता का भी एक मन्त्र छुपा है अगर हम इसी तरह से " हरे रामा हरे कृष्णा" के निकालें तो भी निकलेंगे 786 दोनों के बिलकुल एक समान.
काश ये हमारे कुछ नेता गण समझ जाएँ  इश्वर एक है उसका सन्देश एक है मानवता सब से बड़ा धर्म है.

अरबी के सभी अक्षरों के नम्बर इस प्रकार हैं,
अलिफ़ =1,बे=2,जीम=3,दाल=4,हे=5,=वाओ=6, ज़े=7,बड़ी हे =8,तूए के =9,ये =10
छोटा काफ =20,लाम=30,मीम=40,नून के =50,सीन=60,ऐन =70,फे=80,स्वाद =90,
बड़े काफ =100,रे =200,शीन =300,ते =400,से=500,खे=600,जाल -700,जवाद =800
जोए =900,गैन=1000,

अबजद के खेल में ताश जिसे इल्मी ताश कहा जाता है बच्चे इल्मी ताश खेलते है और आये हुए पत्तों से शब्द बनाते हैं  इस से उनका शब्द ज्ञान बढ़ता है 
हाज़िर है एक ग़ज़ल के चन्द शेर 

सब तो  बैठे हुए हैं मसनद पर 
हम ही ठहरे हुए हैं अबजद पर  

कल ही मिटटी से सर निकाला है
आज ऊँगली उठा दी बरगद पर 

आँख सोते मे भी खुली रखना 
सब की नज़रें लगीं हैं मसनद पर 

आज के दिन बटा था इक आँगन 
आज मेला लगेगा सरहद पर 


पहले उसने मेरे कसीदे पढ़े 
घूम फिर कर वो आया मकसद पर

1 comment:

  1. कल ही मिटटी से सर निकाला है
    आज ऊँगली उठा दी बरगद पर |
    बहुत उम्दा !

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