Monday 31 October 2011

मुहावरा ग़ज़ल : आज थोड़ी है/aadil rasheed


                ग़ज़ल


कल जो राइज था आज थोड़ी है
अब वफ़ा का रिवाज थोड़ी है


जिंदगी बस तुझी को रोता रहूँ
और कोई काम काज थोड़ी है


दिल उसे अब भी बावफा समझे
वहम का कुछ इलाज थोड़ी है


आप की हाँ में हाँ मिला दूंगा
आप के घर का राज थोड़ी है


है ज़रुरत तुझे दुआओं की
मय ग़मों का इलाज थोड़ी है

वो ही क़ादिर है वो बचा लेगा
अपने हाथों में लाज थोड़ी है


वो ही हाजित रवा है राज़िक़ है
तेरी मुट्ठी में नाज थोड़ी है

उस की यादों से पार पद जाए
हर मरज़ का इलाज थोड़ी है


दाद है ये  हमारी ग़ज़लों की
एक मुट्ठी अनाज थोड़ी है


उम्र भी देखो हरकतें देखो
उसको कुछ लोक लाज थोड़ी है


प्यार को प्यार ही समझ लेगा
इतना अच्छा समाज थोड़ी है


मैं शिकायत किसी से कर बैठूं
मेरा ऐसा मिज़ाज थोड़ी है


शायरी छोड़ देंगे इक दिन हम
ये मरज़ ला इलाज थोड़ी है

राइज ( चलन ) (मय =मदिरा,शराब)
(क़ादिर =सर्वशक्तिमान इश्वर )
(हाजित रवा=ज़रुरत पूरी करने वाला,
(राज़िक़=अन्नदाता )

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