Friday 28 October 2011

निभाए हम ने मरासिम यूँ बदजुबान के साथ/aadil rasheed

निभाए हम ने मरासिम यूँ  बदजुबान के साथ
के जैसे रहता है आईना इक चटान के साथ

ज़मीं भी करने लगी अब दुआ किसान के साथ
के दरिया बहने लगा खतरे के निशान के साथ

है तेरे हाथ मे अब लाज उसकी रब्बे करीम
परिन्दा शर्त लगा बैठा आसमान के साथ

कहीं ये बढ़  के मेरा हौसला न कत्ल करे
तभी तो जंग छिडी है मेरी थकान के साथ

हम ऐसे लोग भला कैसे नींद भर सोयें
के जाग  उठती हैं फिक्रें मियां अज़ान के साथ

वो जिसके सामने दरिया ने नाक रगड़ी है
हमारा रिश्ता है उस आला खानदान  के साथ

गरीब होने से तहज़ीब मर नहीं सकती
वो चीथडों मे भी रहता है आन बान के साथ

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