Monday 31 October 2011

मुहावरा ग़ज़ल = पालते रहना /आदिल रशीद/aadil rasheed


            ग़ज़ल


ख्वाब आँखों में पालते रहना
जाल दरिया में डालते रहना


जिंदगी पर किताब लिखनी है
मुझको हैरत में डालते रहना


और कई इन्किशाफ़ होने हैं     
तुम समंदर खंगालते रहना


ख्वाब रख देगा तेरी आँखों में
ज़िन्दगी भर संभालते रहना


 तेरा दीदार मेरी मंशा  है      
उम्र भर मुझको टालते रहना


जिंदगी आँख फेर सकती है
आँख में आँख डालते रहना


तेरे एहसान भूल सकता हूँ
आग में तेल डालते रहना


मैं भी तुम पर यकीन कर लूँगा
तुम भी पानी उबालते रहना


इक तरीक़ा है कामयाबी का
खुद में कमियां निकलते रहना

इन्किशाफ़ =खुलासा
मंशा =इच्छा मर्ज़ी

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