आज का बीते कल से क्या रिश्ता
झोपड़ी का महल से क्या रिश्ता
हाथ कटवा लिए महाजन से
अब किसानों का हल से क्या रिश्ता
सब ये कहते हैं भूल जाओ उसे
मशवरों का अमल से क्या रिश्ता
किस की ख़ातिर गँवा दिया किसको
अब मिरा गंगा-जल से क्या रिश्ता
जिस में सदियों की शादमानी हो
अब किसी ऐसे पल से क्या रिश्ता
जो गुज़रती है बस वो कहता हूँ
वरना मेरा ग़ज़ल से क्या रिश्ता
ज़िंदा रहता है सिर्फ़ पानी में
रेत का है कँवल से क्या रिश्ता
मैं पुजारी हूँ अम्न का आदिल
मेरा जंग ओ जदल से क्या रिश्ता
फारसी अरबी शब्दों के लिए क्लिक करें
जंगो जदल/jango jadal/جنگ و جدل/ شادمانی/ शादमानी/ shadmaani/shaadmani
झोपड़ी का महल से क्या रिश्ता
हाथ कटवा लिए महाजन से
अब किसानों का हल से क्या रिश्ता
सब ये कहते हैं भूल जाओ उसे
मशवरों का अमल से क्या रिश्ता
किस की ख़ातिर गँवा दिया किसको
अब मिरा गंगा-जल से क्या रिश्ता
जिस में सदियों की शादमानी हो
अब किसी ऐसे पल से क्या रिश्ता
जो गुज़रती है बस वो कहता हूँ
वरना मेरा ग़ज़ल से क्या रिश्ता
ज़िंदा रहता है सिर्फ़ पानी में
रेत का है कँवल से क्या रिश्ता
मैं पुजारी हूँ अम्न का आदिल
मेरा जंग ओ जदल से क्या रिश्ता
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