ग़ज़ल
ख्वाब आँखों में पालते रहना
जाल दरिया में डालते रहना
जिंदगी पर किताब लिखनी है
मुझको हैरत में डालते रहना
और कई इन्किशाफ़ होने हैं
तुम समंदर खंगालते रहना
ख्वाब रख देगा तेरी आँखों में
ज़िन्दगी भर संभालते रहना
तेरा दीदार मेरी मंशा है
उम्र भर मुझको टालते रहना
जिंदगी आँख फेर सकती है
आँख में आँख डालते रहना
तेरे एहसान भूल सकता हूँ
आग में तेल डालते रहना
मैं भी तुम पर यकीन कर लूँगा
तुम भी पानी उबालते रहना
इक तरीक़ा है कामयाबी का
खुद में कमियां निकलते रहना
इन्किशाफ़ =खुलासा
मंशा =इच्छा मर्ज़ी
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